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ध्यान वही रोशनी है जो सदियों के अंधेरे को पल भर में मिटा देती है: अर्चना सिंह

 



अर्चना सिंह के अनुसार—मनुष्य दुखी इसलिए नहीं है कि उसके जीवन में कुछ कमी है, बल्कि इसलिए है क्योंकि उसका मन अनावश्यक रूप से भरा हुआ है। यह भराव भय से, अतीत की स्मृतियों से, भविष्य की चिंताओं से और समाज द्वारा थोपे गए विचारों से बना होता है। ध्यान इस मानसिक बोझ को हटाने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि उसे देखने और स्वतः गिर जाने देने की जागरूकता है।


एक राजा अपने राज्य में व्याप्त अशांति से अत्यंत परेशान था। उसने अपने मंत्री से कहा, “मेरे पास सब कुछ है, फिर भी शांति क्यों नहीं है?” मंत्री उसे एक झील के किनारे ले गया। झील का पानी मटमैला और अस्थिर था। मंत्री ने कहा, “महाराज, इसे हिलाइए नहीं, बस कुछ देर मौन होकर बैठिए।” राजा बैठ गया। कुछ समय पश्चात मिट्टी नीचे बैठ गई और पानी अपने आप स्वच्छ हो गया। मंत्री बोला, “पानी को साफ़ करने के लिए कुछ करना नहीं पड़ा, बस उसे शांत रहने दिया गया।”


अर्चना सिंह बताती हैं कि मन भी उसी झील की तरह है। हम उसे लगातार बदलने, सुधारने और नियंत्रित करने की कोशिश करते रहते हैं, जबकि ध्यान हमें कुछ न करने की कला सिखाता है। जैसे घर की नियमित सफ़ाई से वातावरण पवित्र और रहने योग्य बनता है, गाड़ी की सर्विस से उसकी कार्यक्षमता और सुरक्षा बढ़ती है, मोबाइल का अनावश्यक डेटा हटाने से उसकी गति तेज़ होती है, चश्मा साफ़ करने से दृष्टि स्पष्ट होती है, खेत से खरपतवार हटाने पर ही फसल लहलहाती है और पानी फ़िल्टर होने पर ही जीवनदायी बनता है—वैसे ही ध्यान मन के भीतर जमा अनावश्यक विचारों, डर, चिंता, तनाव और घबराहट को स्वतः छँटने देता है।


NLP और ध्यान के संयुक्त अभ्यास के माध्यम से अर्चना सिंह यह स्पष्ट करती हैं कि जब मन का स्पेस साफ़ होता है, तभी व्यक्ति अपने जीवन के सही निर्णय ले पाता है। ध्यान न तो धर्म है, न ही कोई कठोर साधना, बल्कि चेतना की स्वाभाविक अवस्था है। ध्यान वही रोशनी है जो सदियों के अंधेरे को पल भर में मिटा देती है, क्योंकि वास्तव में अंधेरा कभी था ही नहीं—बस जागरूकता का प्रकाश अनुपस्थित था।

इसी ध्यान के महत्व को ध्यान में रखते हुए विश्व ध्यान दिवस के उपलक्ष्य में लखनऊ के कई योग केंद्रों एवं संस्थानों में अर्चना सिंह ध्यान के सत्र ले रही है अभी हाल ही में उन्होंने गोमती नगर स्थिति शिवोहम एवं प्राना में अपने ध्यान सत्र लिए जिसके बाद लोगों ने संकल्प लिया कि वह नियमित ध्यान करेंगे। अर्चना सिंह लोगों को अपनी खोज के आधार पर प्रत्येक व्यक्ति के स्वभाव, रहन सहन और जीवन के मुताबिक जो व्यक्ति विशेष पर अधिक प्रभावशाली हो वह ध्यान पद्धति करवाती हैं। अर्चना सिंह मिरेकल रिचुअल के माध्यम से लोगों को रोजमर्रा की ज़िंदगी से दूर खुद की शक्ति की पहचान हो सके और लोग दो दिनों में ही ध्यान की गहराई में उतरकर इसकी शक्ति समझ सके हरिद्वार रिट्रीट पर भी ले जा रही हैं जिसमें सीमित लोगों की संख्या होगी। उन्होंने कहा है जो खुद को बदलना चाहते हैं आनंद के सागर में गोते लगाना चाहते हैं उन्हें दो दिनों के लिए अपने मोबाइल को भूलना होगा जो यह कर सकता है वहीं रिट्रीट के लिए जा सकता है। 

अर्चना सिंह | NLP Trainer एवं Meditation Expert