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हनुमान जन्मोत्सव पर महिलाओं ने रचा इतिहास, 250 से अधिक मंदिरों पर एक साथ हुआ सुंदरकांड

 



सपना गोयल की अगुआई में प्रदेश के ढाई सौ से अधिक मंदिरों में किया गया सामूहिक सुंदरकांड पाठ


“हनुमान जन्मोत्सव” में सुंदर मन से सुंदर संसार की कामना से, प्रतिदिन सुंदरकांड का लिया गया संकल्प


लखनऊ 12 अप्रैल। ईश्वरीय स्वप्नाशीष सेवा समिति की ओर से सनातन ध्वज वाहिका सपना गोयल की अगुआई में “हनुमान जन्मोत्सव” का आयोजन प्रदेश स्तर पर शनिवार 12 अप्रैल को भव्य स्तर पर किया गया। इसमें प्रदेश के ढाई सौ से अधिक मंदिरों में मातृ शक्तियों द्वारा सामूहिक सुंदरकांड का पाठ किया गया। इस अवसर पर स्थानीय बीकेटी में हुए “हनुमान जन्मोत्सव” में सनातन ध्वज वाहिका सपना गोयल ने कहा कि सुंदर मन से ही सुंदर संसार की कामना पूर्ण हो सकती है। सुंदरकांड के नियमित पाठ से व्यक्ति के संकट ही दूर नहीं होते हैं बल्कि मन भी प्रभु भक्ति में लीन होने के लिए एकाग्र हो जाता है। इसलिए इस अवसर पर सैकड़ों मातृशक्तियों द्वारा प्रतिदिन सुंदरकांड पाठ का संकल्प भी लिया गया।

सनातन ध्वज वाहिका सपना गोयल की अगुआई में जिलों से लेकर दिलों तक को जोड़ा जा रहा है। इसके लिए उनके द्वारा उत्तर प्रदेश ही नहीं वरन् राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक रूप से “सुंदरकांड महा अभियान, बने देश की पहचान” का संचालन किया जा रहा है। उनका लक्ष्य है कि संतों ऋषियों की पावन धरा भारत एक बार पुन: विश्व गुरु के रूप में प्रतिष्ठित हो। इस महान उद्देश्य के लिए ईश्वरीय स्वप्नाशीष सेवा समिति की ओर से प्रतिदिन सुंदरकांड पाठ के साथ-साथ प्रत्येक सप्ताह मंगलवार और शनिवार को नजदीकी मंदिरों में सामूहिक सुंदरकांड पाठ का आयोजन मातृ शक्तियों द्वारा वृहद स्तर पर करवाया जा रहा है। बिना किसी सरकारी या निजी सहयोग के, 10 मार्च 2024 को महिला दिवस के उपलक्ष्य में पांच हजार से अधिक मातृ शक्तियों द्वारा लखनऊ के झूलेलाल घाट पर सामूहिक सुंदरकांड का भव्य अनुष्ठान सम्पन्न करवाया गया था। इस क्रम में राष्ट्रीय स्तर पर तीर्थाटन का सिलसिला भी शुरू किया गया है। इसके तहत उत्तराखंड कोटद्वार के प्राचीन सिद्धबली मंदिर, नैमिषारण्य तीर्थ, काशी विश्वनाथ मंदिर और प्रयागराज के लेटे हुए हनुमान मंदिर परिसर में भी भव्य सुंदरकाण्ड का पाठ सफलतापूर्वक आयोजित किया जा चुका है। इसके साथ ही बीते 11 सितम्बर से अयोध्या जी में प्रभु राम जी की जन्मभूमि परिसर में भी, मासिक सुंदरकांड पाठ का सिलसिला शुरू हो गया है। दूसरी ओर “सेवा परमो धर्म:” को बीज मंत्र मानते हुए दरिद्र नारायण की सेवा के भाव से जाड़ों में कम्बल वितरण और विभिन्न पावन अवसरों पर भंडारों का आयोजन भी करवाया जाता है। इसके साथ ही सावन माह में वृहद कावड़ सेवा का सिलसिला भी शुरू किया गया है।