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गायक राहगीर के सुरों पर झूमे छात्र-छात्राएं, आईपीएसआर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स का वार्षिकोत्सव संपन्न

 




उन्नाव। सोहरामऊ स्थित आईपीएसआर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स में तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव "सप्तरंग" का समापन अत्यंत भव्यता और उत्साह के साथ हुआ। समापन अवसर पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ-साथ छात्रों की प्रतिभाओं का सम्मान भी किया गया। कार्यक्रम का सबसे प्रमुख आकर्षण रहे प्रसिद्ध युवा गायक और संगीतकार राहगीर, जिन्होंने अपने लोकप्रिय गीतों से ऐसा समां बांधा कि छात्र-छात्राएं और दर्शक झूम उठे। राहगीर ने कार्यक्रम की शुरुआत अपने प्रसिद्ध गीत "पकड़ के गाड़ी शायद मेरे गांव आओगे" से की। इसके बाद "अगरबत्ती पे नहीं रुके तो" जैसे गीतों की प्रस्तुति ने छात्रों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष बैजनाथ रावत, आईजी रविशंकर और मुख्य विकास अधिकारी प्रेम प्रकाश मीणा ने दीप प्रज्वलन कर किया। इन विशिष्ट अतिथियों ने छात्र-छात्राओं को अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण और निरंतर प्रयास की प्रेरणा दी। इस अवसर पर राज्य महिला आयोग की सदस्य डॉ. प्रियंका मौर्या, एडीआई ज्ञान कुमार शुक्ला और एसडीएम निशांत तिवारी की गरिमामयी उपस्थिति भी उल्लेखनीय रही।

तीन दिवसीय उत्सव में नृत्य, गायन, रंगोली, भाषण, वाद-विवाद, पोस्टर मेकिंग, फैशन शो, क्विज और खेलकूद जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिनमें छात्रों ने पूरे उत्साह से भाग लिया। विजयी प्रतिभागियों को मंच से स्मृति चिन्ह व प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। शैक्षणिक क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को भी पुरस्कृत किया गया।

कॉलेज की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किए गए समूह नृत्य और नाट्य मंचन ने दर्शकों को खूब आकर्षित किया। उपस्थित जनसमूह में छात्र, शिक्षक, अभिभावक और स्थानीय गणमान्य नागरिक शामिल रहे, जिन्होंने विद्यार्थियों के प्रयासों की मुक्त कंठ से सराहना की।

संस्थान के संस्थापक बद्री विशाल तिवारी, अध्यक्ष डॉ. जितेंद्र तिवारी और उपाध्यक्ष श्रीमती उषा तिवारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि ऐसे आयोजन विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास का आधार बनते हैं। उन्होंने अतिथियों, विद्यार्थियों, शिक्षकों और आयोजन समिति के सभी सदस्यों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

आईपीएसआर का यह आयोजन न केवल शैक्षणिक उपलब्धियों का उत्सव रहा, बल्कि यह विद्यार्थियों के भीतर छिपी कला, संस्कृति और नेतृत्व क्षमता को निखारने का मंच भी साबित हुआ। संस्थान ने यह संदेश दिया कि शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित न रहकर जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शक बने, यही उसकी सार्थकता है।

























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