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अधिवक्ताओं के सम्मान, सुरक्षा और भविष्य को लेकर सुरेश मिश्रा ने रखा स्पष्ट एजेंडा

 


सत्यबन्धु भारत 

लखनऊ।

बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के आगामी चुनाव को लेकर प्रत्याशी सुरेश मिश्रा ने अधिवक्ताओं के हितों से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों को सार्वजनिक रूप से रखा। उन्होंने कहा कि यह चुनाव किसी व्यक्ति या पद के लिए नहीं, बल्कि अधिवक्ताओं के सम्मान, सुरक्षा और भविष्य के लिए है।


सुरेश मिश्रा ने विशेष रूप से जूनियर अधिवक्ताओं की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रैक्टिस के शुरुआती वर्षों में आर्थिक असुरक्षा सबसे बड़ी समस्या है। उन्होंने जूनियर अधिवक्ताओं के लिए मासिक सम्मानजनक स्टाइपेंड, बार एनरोलमेंट को निशुल्क या सब्सिडी पर उपलब्ध कराने तथा वेलफेयर योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करने की मांग की। उनका कहना था कि जब जूनियर अधिवक्ता सशक्त होंगे, तभी बार मजबूत होगी।


अधिवक्ताओं पर बढ़ते हमलों और प्रशासनिक स्तर पर होने वाले कथित अपमान को लेकर उन्होंने एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं के साथ होने वाली घटनाओं पर त्वरित और सख्त कार्रवाई की व्यवस्था होनी चाहिए तथा प्रत्येक जिले में अधिवक्ताओं के लिए विशेष सहायता केंद्र और लीगल सेल की स्थापना की जानी चाहिए।


स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा के विषय पर सुरेश मिश्रा ने सभी अधिवक्ताओं के लिए निःशुल्क या सब्सिडी आधारित स्वास्थ्य बीमा, गंभीर बीमारी या दुर्घटना की स्थिति में तत्काल आर्थिक सहायता तथा वरिष्ठ अधिवक्ताओं के लिए पेंशन योजना लागू करने की बात कही। उन्होंने कहा कि जिन्होंने जीवनभर न्याय के लिए संघर्ष किया, उन्हें असुरक्षित नहीं छोड़ा जाना चाहिए।


उन्होंने यह भी कहा कि तहसील और जिला स्तर के अधिवक्ताओं की उपेक्षा लंबे समय से होती आ रही है। केवल उच्च न्यायालय तक सीमित न रहकर तहसील और जिला बार की समस्याओं के समाधान के लिए अलग बजट और ग्रामीण अधिवक्ताओं की सीधी भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।


डिजिटल सुधारों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि ई-कोर्ट प्रणाली में अधिवक्ताओं को आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों को दूर करने की आवश्यकता है। इसके लिए नियमित डिजिटल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए ताकि तकनीक सहयोग का माध्यम बने, बोझ नहीं।


युवा अधिवक्ताओं के प्रशिक्षण और रोजगार के मुद्दे पर उन्होंने नियमित विधिक प्रशिक्षण कार्यक्रम, सीनियर-जूनियर मेंटरशिप व्यवस्था और सरकारी पैनलों में युवा अधिवक्ताओं को अवसर देने की बात कही। साथ ही, ऑल इंडिया बार एग्जाम (AIBE) पास करने के बाद रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को ऑनलाइन किए जाने की मांग भी रखी।


अपने संबोधन में सुरेश मिश्रा ने कहा कि वे किसी व्यक्ति के विरोध में नहीं, बल्कि अधिवक्ताओं के अधिकारों और भविष्य के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कार्यकाल का मूल्यांकन प्रचार से नहीं, बल्कि किए गए कार्यों और उनके परिणामों से होना चाहिए।


उन्होंने अधिवक्ता साथियों से अपील की कि यह चुनाव चेहरों का नहीं, बल्कि अधिवक्ता सम्मान, सुरक्षा और भविष्य का निर्णय है।


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